Saturday, October 15, 2011

दीपावली शुभाकामना


दीपावली २०११

चलो इस बार फ़िर

एक मिट्टी के दिये से दोस्ती करें

उसकी

टिमटिमाती हल्की पीली लौ में

अन्धेरे और रौशनी के सम्बन्धों को परिभाषित करें

कि क्या

रोशनी और अन्धेरे का युद्ध शाश्वत है

या फ़िर

रौशनी का सन्दर्भ घना अन्धेरा है?

सम्बन्ध द्वेष का है सदा क्या

या

दोनों की समञ्जस सुन्दरता का?

मेरे मित्र

तुम्हारी तो किसी दिये दोस्ती होगी ही

तुमने तो और दिये से दिए जलाए होंगे

अपनी मनुष्यता के फ़र्ज निभाए होंगें

तो चलो, इस दीपावली पर

इस बार मुझे भी साथ ले चलो

मेरी भी किसी मिट्टी के दिये से

दोस्ती करा दो

उसकी रोशनी में नहला दो, और

मुझे

आगे के दो कदम चलने का

रास्ता तो दिखला दो ! ! !

मिट्टी के दिए की रौशनी से आपको और आपके परिवार को प्रकाश भरी शुभकामनाएँ

सादर

आशुतोष आंगिरस

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