क्या यह नववर्ष है _ _ _?
यदि विश्वास है आपको कि
वास्तव में यह नववर्ष है
जहाँ
शीत की गोद में
ठिठुराती गरीबी को कुछ गर्म कपड़े मिलेंगे
और भूख को एक गर्म कप चाय
तो
आओ मिल कर एक बार फ़िर
सूर्य किरणों को पेन बना
चाँदनी की स्याही से
आकाश के उर पर
लिखें मानवीय भविष्य की
इक नई कविता
जिसमें
भूख के अनुकूल रोटी-पानी
भय से पर्याप्त सुरक्षा
कुछ सुन्दरता के क्षण
फ़िर
हो जिज्ञासा का अधिकार
जिसमें चाहिए आपका कुछ सहयोग
कुछ सम्वेदना का और कुछ धन का
फ़िर सिर्फ़ कैलण्डर की तारीख नहीं बदलेगी
पिघलेगी बर्फ़, रुकी नदी बहेगी
और मेरे और आपके घर का कूड़ा
नहीं बीनना पडेगा किसी बिन चप्पल के बच्चे को
तो क्या मैं मान लूँ
तुम नववर्ष लाने में मदद करोगे? मेरे मित्र !
आशुतोष आंगिरस
1 comment:
very nice sir, i like you poem .
i am very happy because you are sanskrit pracaarak and sanskrit lover. i like your pome . i am with innyou in this work. thaks .
PARDEEP SHASTRI
M.PHIL JNU
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