सर्वेक्षणनिष्कर्ष
(प्रस्तुत सर्वेक्षण का मूल उद्देश्य यह जानना है कि संलग्नित नवीन पाठ्यक्रम के अनुरूप शिक्षण के द्वारा संस्कृत को कितना आधुनिक-व्यावसायिक-वैज्ञानिक-रोजगारोन्मुख बनाया जा सकता है।
सर्वेक्षण हेतु
१. एस.डी.कालेज, अम्बाला छावनी,
२.जी.एम.एन.कालेज, अम्बाला छावनी
३.आर्य गर्ल्ज कालेज, अम्बाला छावनी
४.सोहन लाल डी.ए.वी कालेज, अम्बाला शहर
५.पञ्जाबी विश्वविद्यालय ,पटियाला
६.वि.वि.वैदिक शोध संस्थान,होशियारपुर
७.पंजाब विश्वविद्यालय ,चण्डीगढ़
८.कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरूक्षेत्र
९.श्री बाबा हरिदित्त गिरि संस्कृत कालेज ,सरहिन्द शहर
१०.श्री दी.कृ.कि.स.धर्म संस्कृत कालेज, अम्बाला छावनी
११.राजकीय महाविद्यालय , अम्बाला छावनी
१२.डी.ए.वी,कालेज,नन्योला, अम्बाला शहर
१३.हरियाणा संस्कृत अध्यापक संगठन (अम्बाला मण्डल)
उपरोक्त विद्यालयों/ महाविद्यालयो/विश्वविद्यालयो से ३०० संस्कृत अध्यापकों-शोध-छात्रों-स्नातकछात्रों को प्रतिदर्श, हेतु चुना गया, जिसमें ४०% महिलाएँ थी। )
विश्लेषण से प्राप्त आंकड़े
१.क्या आप प्रचलितपाठ्यक्रम से सन्तुष्ट हैं ?
हाँ =--
नहीं =९५%
पता नहीं=५%
[अतः प्राप्त आंकड़ो से स्पष्ट है कि बहुमत प्रचलित पाठ्यक्रम से सन्तुष्ट नहीं हैं।]
२.क्या आप संस्कृतपाठ्यक्रम का नवीनीकरण चाहते हैं ?
हाँ=१००%
नहीं= --
पता नहीं=--
[सभी संस्कृत का नवीनीकरण चाहतें हैं]
३.क्या आप संस्कृत के संलग्नितपाठ्यक्रम के पक्षधर अथवा सन्तुष्ट हैं ?
हाँ=९२%
नहीं=२%
पता नहीं=६%
[अतः नूतनपाठ्यक्रम क्रियान्वित हो।]
४.क्या इस नये पाठ्यक्रम के अध्ययन से रोजगार के नये आयाम स्थापित हो सकते हैं? हाँ=८७%
नहीं=३%
पता नहीं=१०%
[अधिक अभिमत यह स्वीकार करता है कि नवीन पाठ्यक्रम रोजगारोन्मुखी है।] ५. क्या वर्तमानप्रचलितपाठ्यक्रम आधुनिक समस्याएँ समझने एवम् सुलझाने में किसी प्रकार भी सहायक है ?
हाँ=४%
नहीं=८८%
पता नहीं=८%
[अधिकांश अभिमत नकारात्मक होने से प्रचलित पाठ्यक्रम में परिवर्तन आवश्यक हैं।]
६. क्या संस्कृत अध्यापकों की छात्रों के प्रति आजीविका के सम्बन्ध में कोई नैतिक उत्तरदायित्व है ?
हाँ=९८%
नहीं=--
पता नहीं=२%
[अतः संस्कृत अध्यापक अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के समान आजीविका के सम्बन्ध में अपने उत्तरदायित्वों को स्वीकार करें]
७.क्या संस्कृतविद्यार्थियों को संगणकशिक्षा (computer-education)अपेक्षित हैं ?
हाँ=१००%
नहीं=--
पता नहीं=--
[सभी शिक्षणसंस्थानो में संस्कृतमय संगणकप्रयोगशाला होनी चाहिए।जिसमें प्रतिदिन प्रायोगिकपक्ष पर ध्यान दिया जाए।]
८.क्या प्रायोगिकसम्भाषणकक्षा के माध्यम से संस्कृतसम्भाषणदक्षता का सम्पादन हो सकता हैं ?
हाँ=८३%
नहीं=७%
पता नहीं=१०%
[आंकड़ो से स्पष्ट है कि अधिकांश लोग संस्कृतभारती द्वारा स्वीकृत प्रायोगिकसम्भाषणशिक्षाप्रणाली के पक्ष में है।]
९.क्या प्रतिव्यक्ति वनस्पतिशास्त्र को पढ़कर पर्यावरणसंरक्षण में सहायक हो सकता हैं ? हाँ=७९%
नहीं=६%
पता नहीं=१५%
[बहुमत के अनुसार संस्कृत का स्वस्थ चिन्तन ही पर्यावरण सरंक्षण मे सहायक है।]
१०.क्या संस्कृतग्रन्थों के माध्यम से पाठ्यक्रम के सभी विषयों का अध्ययन व अध्यापन सम्भव हैं? यथा (मनोविज्ञान, प्रबन्धन, समाजशास्त्र, राजनीतिविज्ञान, मानवाधिकार, ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, अर्थशास्त्र)
हाँ= ७२%
नहीं= ९%
पता नहीं=१९%
[संस्कृत वाङ्मय में सभी विषय पूर्णतः निहित व संरक्षित हैं।]
११.क्या संस्कृत नूतन पाठ्यक्रम के माध्यम से नैतिकसमाज का निर्माण कर सकती है ?
हाँ=१००%
नहीं=--
पता नहीं=--
[संस्कृत वाङ्मयों में निहित नीति शास्त्रों के सद्विचारों से सभी परिचित हैं।]
१२.क्या प्रत्येक व्यक्ति मानवाधिकार विषय को पढ़कर सर्वकारीय/ अर्ध-अर्ध-सर्वकारीय/ एन०जी०ओ० की परियोजना का सहयोगी हो सकता है ?
हाँ=९३%
नहीं=२%
पता नहीं=५%
[बहुमत के अनुसार आधुनिक परिप्रेक्ष्य में मानवाधिकार विषय अत्यावश्यक है।अतः इसे संस्कृत पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।]
१३.क्या संस्कृत का सूचनाप्रौद्योगिकी/ भाषाप्रौद्योगिकी व जनसञ्चारप्रौद्योगिकी से सम्बन्ध स्थापित होना चाहिए ?
हाँ=८७%
नहीं=३%
पता नहीं=१०%
[जनसमुदाय संस्कृतभाषा को सूचनाप्रौद्योगिकी व जनसञ्चारप्रौद्योगिकी से जोड़ने का इच्छुक हैं।]
१४. क्या आज तक संस्कृत पाठ्यक्रमों में परामर्शपद्धतियों की कोई तकनीक (Counselling-Techniques) अपनाई गई है?
हाँ=४%
नहीं=३१%
पता नहीं=६५%
[संस्कृत पाठ्यक्रम में परामर्शपद्धतियों की तकनीकों को शामिल कर संस्कृत वाङ्मय के अन्तर्गत इन विधियों से परिचित कराया जा सकता है।]
१५.क्या प्रतिव्यक्ति आयुर्वेद के माध्यम से प्राथमिक-उपचार (First-Aid) की शिक्षा प्राप्त कर सकता है?
हाँ=९१%
नहीं=४%
पता नहीं=५%
[बहुमत उपरोक्त तथ्य का पक्षधर है।]
१६. क्या संस्कत-पाठ्यक्रम में योगशिक्षा सम्मिलित होनी चाहिए?
हाँ=१००%
नहीं=--
पता नहीं=--
[योग के प्रति बढ़ती हुई अभिरूचि उपरोक्त तथ्य को स्वयम् प्रमाणित करती है।]
१७.क्या संस्कृत-अध्यापक अपनी सन्ततियों को संस्कृत पढ़ातें है ?
हाँ=७%
नहीं=९१%
पता नहीं=२%
[अधिकांश संस्कृत-अध्यापक अपनी सन्ततियों को संस्कृत नहीं पढ़ातें है। क्योंकि प्रचलित संस्कृत पाठ्यक्रम से आजीविका प्राप्ति कठिन है।]
१८.क्या संस्कृतविद्यार्थी समाज का नेतृत्व करने में सक्षम होते हैं?
हाँ=६२%
नहीं=२४%
पता नहीं=१४%
[संस्कृत का नवीनीकरण ही संस्कृतछात्रों में सक्षम नेतृत्वशक्ति पैदा कर सकता है।]
१९.क्या वर्तमान संस्कृत पाठ्यक्रम छात्रों के अन्तर्निहित गुणों के विकास मे सहायक है? हाँ=९३%
नहीं=५%
पता नहीं=२%
[बहुमत सकारात्मक है।]
२०.क्या आप विज्ञान के नये दौर में संस्कृतशिक्षण की पुरानी पद्धतियों का समायोजन उचित समझते हैं?
हाँ=७%
नहीं=९०%
पता नहीं=३%
[आधुनिक समय की माँग एवम् प्रतियोगिता को देखते हुये यह आवश्यक है कि विज्ञान के नये दौर में संस्कृत शिक्षण को भी अधिक नवीन तथा वैज्ञानिक बनाया जाना चाहिए।]
२१.क्या भगवद्गीता तथा दार्शनिक सम्प्रदायों के आधार पर ज्ञान प्रबन्धन किया जा सकता है?
हाँ=१५%
नहीं=५%
पता नहीं=८०%
[पूर्ण विश्व में संस्कृत भगवद्गीता ही सभी के लिए ज्ञान प्रबन्धन हेतु सहायक हो सकती है।]
(पीयूष अग्रवाल) (राजेश कुमार)
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